शादी करने पर किन्हें मोदी सरकार देती है 2.5 लाख रुपये?
अंतरजातीय विवाह योजना : भारत में विवाह को पवित्र और अनिवार्य माना जाता है । यहां विवाह धर्म, सामाजिक रीति-रिवाज़ों और राज्यों के कानूनी प्रावधानों से संचालित किया गया है । इसे पूरे समाज की मान्यता और स्वीकृति प्राप्त है। इसमें सभी धर्मों और जातियों के लोग शामिल हैं। सभी धर्म और जातियाँ विवाह जैसी सामाजिक व्यवस्था को प्रोत्साहित करती हैं, और अपने अनुयायियों को धर्म या जाति के भीतर ही विवाह करने की छूट देती हैं। जाति और धर्म से बाहर जाकर अपने जीवन-साथी चुनने की उनको अनुमति नहीं दी जाती। युवाओं के लिए अंतरजातीय या अंतर-धार्मिक विवाह के लिए धार्मिक, सामाजिक और पारिवारिक स्वीकृति प्राप्त करना टेढ़ी खीर है।
धर्म, समाज, परिवार और कभी-कभी राज्य की संगठित शक्ति द्वारा चुनौती दिए जाने पर उनके पास अक्सर न तो ज़्यादा विकल्प बचता है और ना ही उनकी राय के कोई मायने रह जाते हैं। उनमें से कुछ लोग, जो अपनी पसंद के जीवन-साथी के साथ विवाह-बंधन में बंधने की हिम्मत दिखाते हैं, उन्हें या तो ‘इज़्ज़त’ के नाम पर अपनी ज़िन्दगी की आहूति देनी पड़ती है या फिर कानून और कानूनी संस्थाओं की मदद के साथ जीना पड़ता है।
अंतरजातीय विवाह योजना का प्रथम पहल
सरकार ने अंतरजातीय विवाह पर किसी प्रकार की समस्या न हो, इस कारण को ध्यान में रखते हुए एक योजना बनाया जिसका नाम “अंतरजातीय विवाह योजना” है | इस योजना के तहत अगर आप किसी अनुसूचित जनजाति से विवाह करते है तो आपको धनराशी दी जाती है साथ ही कई प्रोत्साहन उपहार| पहले यह धनराशी केवल 50000 था जो अब बढ़ के 2.50 लाख हो चूकी है | यह आर्थिक मदद डॉ| अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटरकास्ट मैरिज के तहत दी जाती है| इस योजना की शुरुआत साल 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने की थी | यह योजना आज भी चल रही है| इस योजना का लाभ पाने के लिए कुछ शर्ते हैं और इसके लिए एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होता है| आइये इस योजना की पूरी जानकारी प्राप्त करते है –
अंतरजातीय विवाह योजना को प्रमोचन की जानकारी
- योजना का नाम – अंतरजातीय विवाह योजना
- योजना में दी जाने वाली राशि – 2.50 लाख
- योजना की शुरुआत – 2013
अंतरजातीय विवाह योजना का लाभ
सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना से मुख्य लाभ यह है कि यह योजना जातिगत भेदभाव को कम कर सभी धर्मों में समानता लाने के लिए शुरू की गई है| बहुत से ऐसे लोग है जो अंतरजातीय विवाह करते हैं और ऐसा करने से उन्हें उनके समाज से बेदखल कर दिया जाता है| किन्तु अब सरकार की तरफ से इस योजना के माध्यम से उन्हें नया जीवन शुरू करने के लिए 2.50 लाख रूपये की राशि दी जाएगी|
अंतरजातीय विवाह योजना की विशेषताएँ
- योजना के लिए राशि – इस योजना में राज्य सरकार द्वारा 50,000 रूपये और डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के द्वारा 2.50 लाख रूपये मिलाकर कुल 3 लाख रूपये की राशि लाभार्थी को दी जायेंगी|
- योजना के लिए विशेष – यह राशि विशेष रूप से उन युवक या युवती को दी जाएगी जिन्होंने अनूसूचित जाति या जनजाति के युवक व युवती से विवाह किया हो|
- बैंक अकाउंट – इस योजना में प्रदान की जाने वाली राशि युवक या युवती के बैंक अकाउंट में जमा की जाएगी इसके लिए उनके पास अपना बैंक अकाउंट होना जरुरी है|
अंतरजातीय विवाह योजना के लिए पात्रता मापदंड
- भारत स्थायी निवासी – यह योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई है इसलिए इसका लाभ उठाने के लिए युवक व युवती का भारत का निवासी होना आवश्यक है|
- युवक व युवती की उम्र – योजना में मिलने वाली राशि प्राप्त करने के लिए युवक और युवती की उम्र 21 वर्ष और 18 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए|
- अनुसूचित जाति या जनजाति का होना चाहिए – इस योजना का हिस्सा बनने वाले विवाहित जोड़े में से किसी भी एक का अनूसूचित जाति या जनजाति से सम्बन्ध रखना अनिवार्य है|
- जाति के अनुसार पात्रता – इस योजना के तहत यदि कोई अनुसूचित जाति या जनजाति का युवक या युवती किसी पिछड़े वर्ग या सामान्य वर्ग के युवक या युवती से विवाह करता है, तो केवल वे ही इस योजना का लाभ उठा सकते हैं|
- कोर्ट मैरिज – सरकार द्वारा मिलने वाली राशि प्राप्त करने के लिए विवाहित जोड़े का कोर्ट मैरिज करना अनिवार्य है| कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़े को ही यह राशि दी जाएगी|
अंतरजातीय विवाह योजना में लगने वाले आवश्यक दस्तावेज
इस योजना के तहत शादी के बंधन में बंधने वाले युवक या युवती के पास निम्न दस्तावेज होना बहुत जरुरी है –
- आधार कार्ड – सरकार द्वारा शुरू किया गया आधार कार्ड आज के समय में सबसे जरुरी प्रमाण पत्र है| इसलिए युवक व युवती दोनों के पास उनका आधार कार्ड होना अनिवार्य है|
- आयु प्रमाण पत्र – इस योजना के लिए आयु निर्धारित की गई है, अतः उन्हें इसके लिए अपना आयु प्रमाण पत्र भी जमा कराना आवश्यक है|
- जाति प्रमाण पत्र – इस योजना में मुख्य रूप से जाति को महत्व दिया गया है, इसलिए विवाहित जोड़े में युवक व युवती दोनों को अपना जाति प्रमाण पत्र भी देना होगा|
- पासपोर्ट साइज़ फोटो – विवाहित जोड़े की विवाह के बाद की दोनों की साथ में एक पासपोर्ट साइज़ फोटो फॉर्म में लगाने हेतु देना अनिवार्य है|
- कोर्ट मैरिज का प्रमाण – यह योजना केवल कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़े के लिए ही है| इसलिए उन्हें कोर्ट में की गई मैरिज का प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा|
इस योजना का लाभ आप ऑनलाइन फॉर्म भरकर ले सकते है कुछ वेबसाइट इस तरह से है –
http://scdevelopmentmp.nic.in मध्य प्रदेश के लिए
https://sjsa.maharashtra.gov.in महाराष्ट्र के लिए
- इन वेबसाइट पर जाते ही आपको इस योजना में फॉर्म दिखाई देगा उसे खोलें| और अब आवेदन के लिए इसमें पूछी जाने वाली सभी जानकारी को सावधानी पूर्वक और सही – सही भरें|
- सावधानी पूर्वक फॉर्म भर जाने के बाद आप फॉर्म के साथ इसमें उपयुक्त सभी दस्तावेजों को संलग्न करके अपलोड कर दीजिये और फिर सबमिट बटन पर क्लिक कर फॉर्म को सबमिट कर दीजिये|
भारत में जाति को लेकर आज भी बहुत भेदभाव किया जाता है जिसके लिए सरकार हमेशा कुछ ना कुछ नई योजना लाती रहती है जिससे समाज में समानता आये और सबको बराबर का अधिकार मिले | अंतरजातीय विवाह योजना के पीछे सरकार की मंशा समाज में व्याप्त इन जातिगत भेदभाव को ख़त्म करने का एक सरहनीय पहल हैं|