रुद्राभिषेक पूजन
हमारे सनातन धर्म में भगवान शिव को त्रिदेवों में सबसे सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। भगवान शिव को रुद्रदेव के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेकों प्रकार की पूजा की जाती है लेकिन रुद्राभिषेक की पूजा सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र होती है। रुद्राभिषेक का शाब्दिक अर्थ “भगवान शिव का स्नान” कराना होता है।
ऋग्वेद के अनुसार “सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका” यानी रुद्राभिषेक से सभी देवताओं की आत्मा का पूजन हो जाता है। रुद्राभिषेक करने वाले व्यक्ति को किसी अन्य देवता की पूजा करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। रुद्राभिषेक पूजन विधि भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है।
शिव भक्तों की समस्या के आधार पर पूजन विधि में परिवर्तन किया जाता हैं। शिव भक्त अपने धन की समस्या, पारिवारिक समस्या, व्यापार वृद्धि के लिए रुद्राभिषेक करवाता है। रुद्राभिषेक को हम जल, गंगाजल,सरसों के तेल, पंचामृत या भस्म से भी कर सकते हैं।
रुद्राभिषेक पूजन हेतु आवश्यक सामग्री;
गंगाजल, कच्चा दूध, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी), पुष्प, बेल पत्र, फ़ल, एक बाल्टी पानी (इसमें अच्छा दूध मिलाया हुआ हो), धतुरे, सरसों का तेल
दूध से रुद्राभिषेक पूजन विधि;
दूध से रुद्राभिषेक करने से पारिवारिक समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है।
दूध से रुद्राभिषेक करने पर कर्ज मुक्ति प्राप्त होती हैं।
- सर्वप्रथम पीतल के कलश पर “ॐ श्री कामधेनवे नमः” बोलकर मौली बांधे।
- उसके बाद शिवलिंग के ऊपर पुष्प और बेल पत्र रखें। शिवलिंग के नीचे फल, धतूरे को रखें।
- इसके बाद पात्र में कच्चा दूध लेकर एक पतली धार बनाते हुए शिवलिंग पर चढ़ाएं।
- दूध चढ़ाते समय “ॐ तम: त्रिलोकीनाथाय: स्वाहा मंत्र” का पाठन करें।
- इस मंत्र का पाठन 21 बार करें,तब तक शिवलिंग पर दूध से रुद्राभिषेक करते रहें।
- एक इस बार मंत्रों के पाठन के पश्चात शिवलिंग को साफ कपड़े से पोछते हुए “ॐ नमः शिवाय मंत्र” का पाठ करें।
पंचामृत से रुद्राभिषेक पूजन विधि:
पंचामृत से रुद्राभिषेक करने से व्यापार समस्या का समाधान होता है।
पंचामृत से रुद्राभिषेक करने के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निदान होता है।
- पीतल के कलश पर “ॐ धन्वन्तरयै मंत्र” का पाठन करते हुए मौली बांधे।
- तत्पश्चात शिव लिंग के ऊपर कच्चे दूध एक धार डालते हुए “ॐ नमः शिवाय:” का पाठन करें।
- इसके बाद पंचामृत की धार डालते हुए “ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय स्वाहा” का पाठन करें।
- जब तक पंचामृत खत्म नहीं हो जाता तब तक इस मंत्र का जाप करते रहे।
- उसके बाद शिवलिंग को स्वच्छ जल से धो लेवे!शिवलिंग को धोते समय “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें!
सरसों के तेल से रुद्राभिषेक;
सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करने से धन प्राप्ति होती है।
अगर किसी भी व्यक्ति का विवाह नहीं हो रहा है तो उसे सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
- सर्वप्रथम पीतल के कलश पर “ॐ इन्द्राय नम:” का पाठन करते हुए मौली बांधे।
- उसके बाद धतूरे, पुष्प व फल को भगवान शिव को अर्पित करें।
- तत्पश्चात गंगा जल की एक धार शिवलिंग पर डालें।
- इसके बाद सरसों के तेल से शिवलिंग पर अभिषेक करें।
- शिवलिंग पर अभिषेक करते समय “ॐ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा” मंत्र का पाठन करें।
- 21 बार इस मंत्र का पाठन करें, मंत्र का पाठन करते वक्त सरसों के तेल से शिवलिंग पर अभिषेक करते रहें।
- तत्पश्चात शिवलिंग को स्वच्छ जल से धो लेवे। शिवलिंग को धोते समय “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।